छत्तीसगढ़ राज्य के प्रमुख लोकगीत
- पंडवानी - पांडवों कि कथा।
- सुआ गीत - गोंड स्त्रियों का नृत्य गीत।
- सेवा गीत - चेचक शांति के लिए माता सेवा गीत।
- जवांरा गीत - दुर्गा माता कि आरती ,नवरात्रि के समय गायन।
- भोजली गीत - तांत का बना वाद्य बनाकर नारियों द्वारा गीत गया जाता है।
- करमा गीत - आदिवासियों का नृत्य।
- बांस गीत - राउत जाती का प्रमुख गीत।
- बार नृत्य गीत - कंवर जनजाति द्वारा।
- देवार गीत - देवार जाति ,लोक कथाओ पर आधारित।
- रीना नृत्य गीत - दीपावली के अवसर पर गोंड तथा बैगा जनजातियों की महिलाओ द्वारा।
- ददरिया गीत - लोकगीत का राजा ,प्रेमगीत।
- लेंजा गीत - बस्तर के आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र लोकगीत।
- घोटुल पाटा - मृतु के अवसर पर मुरिया जनजाति में गाया जाता है।
- रैला गीत - मुरिया जनजाति का प्रमुख लोक गीत।
- पंथी गीत - सतनामी समाज का परंपरागत गीत है।
- भडोनी गीत - विवाह के समय हसी मजाक के लिए गया जाता है।
- नचोनी गीत - नारी कि विरह वेदना ,संयोग वियोंग का गीत।
- बैना गीत - तंत्र मंत्र साधना से सम्बंधित गीत।
- राउत गीत - यादव समाज द्वारा गया जाने वाला गीत।
- धनकुल - बस्तर क्षेत्र का पमुख लोक गीत है।
- लोरिक चंदेनी गीत - लोक कथा पर आधारित गीत।
- नागमत गीत - नागदेव का गुणगान नागपंचमी के अवसर पर।
- डंडा गीत - वर्ष में दो बार, क्वार तथा फागुन में, पुरुषों द्वारा डंडा नृत्य के समय गाया जाता है।
- सोहर गीत - जन्मोत्सव के अवसर पर गाया जाता है।
- बरुआ गीत - उपनयन संस्कार के अवसर पर गाया जाता है।
- गम्मत गीत - राज्य में गणेशोत्सव के अवसर पर गाया जाता है।
- ढोलकी गीत - महिलाओं द्वारा भगवन राम एवं कृष्ण की लीलाओं का वर्णन।
- गौरा गीत - माँ दुर्गा कि स्तुति ,नवरात्रि के समय।