जन्म - वर्ष 1894, बीकानेर।
मृत्यु - 4 अगस्त 1976
यति यतनलाल (Yati yatan lal) का जन्म सन् 1894 में बीकानेर में हुआ था। ढाई वर्ष की उम्र में अपने गुरु बाह्यमल के साथ रायपुर आ गए और रायपुर में ही शिक्षा हासिल की। छत्तीसगढ़ में इन्हें सामाजिक और सांस्कृतिक जागृति के प्रणेता स्त्रोत माना जाता है। यति यतनलाल श्रेष्ठ वक्ता, लेखक, समाज सुधारक थे। स्वतंत्रता आंदोलन में इन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। छत्तीसगढ़ शासन ने यति यतनलाल की स्मृति में अहिंसा एवं गौ-रक्षा में यति यतनलाल सम्मान स्थापित किया है ।
मृत्यु - 4 अगस्त 1976
यति यतनलाल (Yati yatan lal) का जन्म सन् 1894 में बीकानेर में हुआ था। ढाई वर्ष की उम्र में अपने गुरु बाह्यमल के साथ रायपुर आ गए और रायपुर में ही शिक्षा हासिल की। छत्तीसगढ़ में इन्हें सामाजिक और सांस्कृतिक जागृति के प्रणेता स्त्रोत माना जाता है। यति यतनलाल श्रेष्ठ वक्ता, लेखक, समाज सुधारक थे। स्वतंत्रता आंदोलन में इन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। छत्तीसगढ़ शासन ने यति यतनलाल की स्मृति में अहिंसा एवं गौ-रक्षा में यति यतनलाल सम्मान स्थापित किया है ।
राजनीति :
यति यतनलाल वर्ष 1919 में राजनीति से जुड़ गए। वर्ष 1921 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की। वर्ष 1922 में जिला कोंग्रेस कांग्रेस का अध्यक्ष एवं वर्ष 1924-25 में जिला कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिये निर्वाचित हुए। वर्ष 1930 के सविनय अवज्ञा आंदोलन के प्रचार कार्य में संयोजक तथा नगर प्रमुख के रुप में महत्वपूर्ण योगदान दिया । 13 अप्रैल 1930 में शराब की दुकानों के सामने पिकेटिंग के संचालन में भी भूमिका रही। शंकरराव गनौदवाले के साथ महासमुंद तहसील में जंगल सत्याग्रह का आरम्भ किया। 9 सितम्बर को गिरफ्तार किए गए।
वर्ष 1940 में व्यक्तिगत सत्याग्रह में इन्हें महासमुंद में गिरफ्तार किया गया। वर्ष 1942 में भी इन्हें गिरफ्तार किया गया।
समाज सुधार :
वर्ष 1933 में हरिजन उद्धार आंदोलन के प्रचार में सक्रिय हो गए । महात्मा गांधी के निर्देशानुसार वर्ष 1935 में ग्रामोद्योग, अनुसूचित जाति उत्थान और हिन्दू-मुस्लिम एकता की दिशा में महत्वपूर्ण कार्य किए। ग्रामीण जनता के उत्थान के लिए कार्य किया और ग्रामोद्योग के महत्व का प्रचार किया ।