छत्तीसगढ़ में मराठा शासन 1741 ई. से 1854 ई. तक था। 1741 ई. में नागपुर के भोसले शासक के सेनापति भास्कर पंत ने छत्तीसगढ़ के रतनपुर एवं रायपुर से कलचुरि शासन समाप्त कर मराठा साम्राज्य में मिला लिया। मराठो का प्रत्यछ शासन 1758 ई. से स्थापित हुआ। और बिम्बाजी भोसले ने रतनपुर के प्राचीन राजमहल में प्रवेश कर छत्तीसगढ़ के शासन की बागडोर अपने हाथो में सम्भाली। मराठा शासन 1854 ई. में डलहौजी ने हड़प नीति के द्वारा मराठा शासन का विलय ब्रिटिश साम्राज्य मेंकरदिया।
इतिहास :
रतनपुर : 1741 ई. तक छत्तीसगढ़ में कलचुरि शासन पतन के कगार पर पहुँच चुका था। रतनपुर के शासक रघुनाथ सिंह वृद्धावस्था में थे, एवं अपने एक मात्र पुत्र के मृत्यु के शोक में डूबे हुए थे। ऐसी स्थिति का फायदा उठाकर नागपुर के भोसले शासक के सेनापति भास्कर पंत ने रतनपुर राज्य पर हमला करदिया और रघुनाथ सिंह ने आत्मसमर्पण करदिया। भास्कर पंत ने रतनपुर के निवासियों पर १ लाख रूपये का जुर्माना लगाया एवं राजकोष का धन लूटा। इसके बाद रघुनाथ सिंह ने मराठो के अधीन शासन चलाया। रघुनाथ सिंह के बाद मोहन सिंह ( 1745 ई. - 1758 ई. ) को शासक नियुक्त किया गया।
रायपुर : 1741 ई. सेनापति भास्कर पंत ने रायपुर पर आक्रमण किया। इस समय यहाँ अमर सिंह का शासन था। 1750 ई. में मराठो ने आजीविका के लिए अमर सिंह को राजिम, रायपुर और पाटन परगने 7000 रुपये के बदले प्रदान कर शासन से अलग कर दिया 1753 ई. में अमर सिंह की मृत्यु के बाद उनका पुत्र शिवराज सिंह उत्तराधिकारी बना परंतु 1757 ई. में भोसले ने जगीरो को छीन लिया और करमुक्त 5 गांव प्रदान किया।
छत्तीसगढ़ में मराठा शासन के चार चरण
1. प्रत्यक्ष भोसले शासन ( 1758 - 1787 )नागपुर के भोसले शासक रघुजी प्रथम ने राजकुमार बिम्बाजी को छत्तीसगढ़ में शासक के रूप में नियुक्त किया और छत्तीसगढ़ में प्रत्यक्ष भोसले शासन की सुरुवात हुई। पूर्ण पढ़ें।
2. सूबा शासन ( 1787 - 1818 )
भोसले शासक बिम्बाजी के मरणोपरांत छत्तीसगढ़ का शासन व्यंकोजी भोसले को राज्य प्राप्त हुआ। इन्होंने नागपुर में रहकर रतनपुर का शासन चलाने के लिए अपने प्रतिनिधि के रूप में सूबेदारों की नियुक्ति की और छत्तीसगढ़ में सूबा शासन (1787 - 1818 ) की सुरुवात की। व्यंकोजी भोसले के मरणोपरांत 1811 ई. में अप्पा साहब छत्तीसगढ़ के नए शासक नियुक्त किये गए। पूर्ण पढ़ें।
3. ब्रिटिश संरक्षण के अधीन शासन ( 1818 - 30 )
4. पुनः भोसले शासन ( 1830 - 54 )
व्यंकोजी भोसले को छत्तीसगढ़ में 'सुब प्रशासन' के जनक माना जाता है।
ब्रिटिश शासन के अधीन मराठा शासन ( 1818 ई. - 1830 ई. )
तृतीय आंग्ल-मराठा युद्ध में मराठे पराजित हुए। मराठा उत्तराधिकारी रघुजी तृतीय के अल्प वयस्क होने के कारण इस क्षेत्र के प्रशासन हेतु ब्रिटिश अधीक्षकों की नियुक्ति की गई।
1800 ई. में रघुजी तृतीय को अंग्रेजों ने शासन सौंप दिया। रघुजी तृतीय की कोई संतान न होने की वजह से 1854 ई. में डलहौजी ने हड़प नीति के द्वारा मराठा शासन का विलय ब्रिटिश साम्राज्य मेंकरदिया।
इन्हे देखें:
आंग्ल-मराठा संधियाँ
ब्रिटिश संरक्षण में मराठा शासन
आंग्ल मराठा युद्ध