पंथी नृत्य छत्तीसगढ़ के सतनामी समुदाय का प्रमुख नृत्य है। पंथी गीतों में गुरु घासीदास के चरित्र गायन किया जाता है। इसमे आद्यात्मिक सन्देश के साथ मानव जीवन की महत्ता होती है। इसमे रैदास, कबीर तथा दादू आदि संतों के आध्यात्मिक संदेश भी इसमें पाया जाता है।
मांघी पूर्णिमा या किसी त्यौहार पर 'जैतखंभ' की स्थापना करते है और परमंपरागत ढंग से नाचते-गाते है। इनका मुख्य वाध्य यन्त्र मंदार एवं झांझ है।
इस नृत्य में एक मुख्य नर्तक होता है जो पहले गीत की कड़ी उठता है जिसे समूह के अन्य नर्तक दोहराते है एवं नाचते है। यह नृत्य धीमी गती के साथ सुरु होती है, और गीत एवं मृदंग की लय के साथ गती बढती है। यह वस्तुतः द्रुत गती का नृत्य है।
देवदास बंजारे काफी पतिस्थित पंथी नर्तक है। देवदास बंजारे और उनके साथी देश-विदेश में यह नृत्य प्रस्तुत करते है।