सोम वंश का शासन छत्तीसगढ़ के कांकेर राज्य में 1125 ई. से 1344 ई. तक था। सिंह राज इस वंश के संस्थापक थे। माना जाता है की सोम वंश पाण्डु वंश की एक शाखा थी, जो कालांतर में सोमवंश के रूप में कांकेर में स्थापित हुई थी।
सिंह राज की मृत्यु के बाद उनके बेटे व्याघ राजराज राजा बन गया। उन्होंने अपने राज्य का विस्तार किया, और उसके राज्य चौथे वर्ष में कलचुरी राजा के हमले सामना करना पड़ा और राज्य के कुछ भाग को खो दिया। उन्होंने सफलतापूर्वक 1166 ई. तक शासन किया। इन्होंने भैरव के मंदिर के निर्माण के लिए कुछ भूमि का दान दिया।
सिंह राज के बाद 1166 ई. बोप देव राजा बने। इन्होंने ११८४ तक शासन किया। लेकिन मुख्य शक्ति कलचुरी राजाओं के अधीन थी। बोप देव के दो पुत्र कृष्णा और सोम राज थे। बोप देव के मृत्यु के बाद उनके दोनों पुत्रो के मध्य लड़ाई हुई और अंत में कृष्णा राजा बना। सोम राज की संतुष्टि के लिए राज्य को दो हिस्सों में विभाजित करदिया गया।
कर्ण राज (कृष्णा) एक बहादुर और धार्मिक राजा था। उन्होंने शिहावा में भगवान शिव का मंदिर और कांकेर में दूध नदी के तट पर रामनाथ मंदिर का निर्माण किया गया। उन्होंने 1206 ई. तक शासन किया।
कर्ण राज की मृत्यु के बाद उनका बेटा जैत राज राजा बन गया। वह बहुत बहादुर व्यक्ति और उसके राज्य विस्तार के लिए पड़ोसी राज्यों पर हमला किया था। अपने साम्राज्य के दौरान सोम वंश के अन्य शाखाओ को फिर से मुख्य शाखा के साथ मिलाया। उन्होंने १२५८ ई. तक शासन किया।
जैत राज की मृत्यु के बाद उसके उनका बेटा सोम चंद्र राजा बन गया कांकेर राज्य मजबूत हो गया। इन्होंने 1306 तक शासन किया। 1306 में भानु देव राज्य का राजा बना। इनको पड़ोसी राज्यों द्वारा बहुत हमलों का सामना करना पड़ा था, लेकिन वह सफलतापूर्वक रहें। भानु देव की मृत्यु के बाद उनके बेटे चंद्रसेन देव राजा बन गया। उन्होंने एक भगवान शिव के मंदिर का निर्माण किया। चंद्रसेन देव ने 1344 ई. तक शासन किया। चंद्रसेन देव सोम वंश के अंतिम राजा थे।
सिंह राज की मृत्यु के बाद उनके बेटे व्याघ राजराज राजा बन गया। उन्होंने अपने राज्य का विस्तार किया, और उसके राज्य चौथे वर्ष में कलचुरी राजा के हमले सामना करना पड़ा और राज्य के कुछ भाग को खो दिया। उन्होंने सफलतापूर्वक 1166 ई. तक शासन किया। इन्होंने भैरव के मंदिर के निर्माण के लिए कुछ भूमि का दान दिया।
सिंह राज के बाद 1166 ई. बोप देव राजा बने। इन्होंने ११८४ तक शासन किया। लेकिन मुख्य शक्ति कलचुरी राजाओं के अधीन थी। बोप देव के दो पुत्र कृष्णा और सोम राज थे। बोप देव के मृत्यु के बाद उनके दोनों पुत्रो के मध्य लड़ाई हुई और अंत में कृष्णा राजा बना। सोम राज की संतुष्टि के लिए राज्य को दो हिस्सों में विभाजित करदिया गया।
कर्ण राज (कृष्णा) एक बहादुर और धार्मिक राजा था। उन्होंने शिहावा में भगवान शिव का मंदिर और कांकेर में दूध नदी के तट पर रामनाथ मंदिर का निर्माण किया गया। उन्होंने 1206 ई. तक शासन किया।
कर्ण राज की मृत्यु के बाद उनका बेटा जैत राज राजा बन गया। वह बहुत बहादुर व्यक्ति और उसके राज्य विस्तार के लिए पड़ोसी राज्यों पर हमला किया था। अपने साम्राज्य के दौरान सोम वंश के अन्य शाखाओ को फिर से मुख्य शाखा के साथ मिलाया। उन्होंने १२५८ ई. तक शासन किया।
जैत राज की मृत्यु के बाद उसके उनका बेटा सोम चंद्र राजा बन गया कांकेर राज्य मजबूत हो गया। इन्होंने 1306 तक शासन किया। 1306 में भानु देव राज्य का राजा बना। इनको पड़ोसी राज्यों द्वारा बहुत हमलों का सामना करना पड़ा था, लेकिन वह सफलतापूर्वक रहें। भानु देव की मृत्यु के बाद उनके बेटे चंद्रसेन देव राजा बन गया। उन्होंने एक भगवान शिव के मंदिर का निर्माण किया। चंद्रसेन देव ने 1344 ई. तक शासन किया। चंद्रसेन देव सोम वंश के अंतिम राजा थे।