पण्डित सुन्दरलाल शर्मा
जन्म - 21 दिसम्बर 1881
मृत्यू - 28 दिसंबर 1940
स्थान - चंद्रसूर ( राजिम के निकट )
पिता - जियालाल तिवारी
पण्डित सुन्दरलाल शर्मा बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। वे साहित्यकार, मूर्तिकला, शीछाविद, चित्रकार एवं स्वतंत्रता सेनानी थे। छत्तीसगढ़ में उनकी प्रसिद्धि अछूतोध्दारक के रूप में है। गांधी मीमांसा, प्रह्लाद चरित्र, करुणा पचीसी, सतनामी भजनमाला नमक ग्रन्थ लिखे थे। पण्डित सुन्दरलाल शर्मा को ' छत्तीसगढ़ के राष्ट्रीय जागरण का अग्रदूत ' कहा जाता है। उनके सम्मान में उनके नाम पर पण्डित सुन्दरलाल शर्मा मुक्त विश्वविद्यालय, छत्तीसगढ़ की स्थापना की गई है।
स्वतंत्रता आंदोलन -
पण्डित सुन्दरलाल शर्मा, बंग-भंग विद्रोह के दौरान 1905 में राजनीति से जुड़े। 1906 में कोंग्रस से जुड़े। 1907 कोंग्रस सूरत अधिवेशन में भी शामिल हुए और रायपुर आकर विदेशी वस्तुओ के बहिस्कार का प्रचार किया।
जन्म - 21 दिसम्बर 1881
मृत्यू - 28 दिसंबर 1940
स्थान - चंद्रसूर ( राजिम के निकट )
पिता - जियालाल तिवारी
पण्डित सुन्दरलाल शर्मा बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। वे साहित्यकार, मूर्तिकला, शीछाविद, चित्रकार एवं स्वतंत्रता सेनानी थे। छत्तीसगढ़ में उनकी प्रसिद्धि अछूतोध्दारक के रूप में है। गांधी मीमांसा, प्रह्लाद चरित्र, करुणा पचीसी, सतनामी भजनमाला नमक ग्रन्थ लिखे थे। पण्डित सुन्दरलाल शर्मा को ' छत्तीसगढ़ के राष्ट्रीय जागरण का अग्रदूत ' कहा जाता है। उनके सम्मान में उनके नाम पर पण्डित सुन्दरलाल शर्मा मुक्त विश्वविद्यालय, छत्तीसगढ़ की स्थापना की गई है।
स्वतंत्रता आंदोलन -
पण्डित सुन्दरलाल शर्मा, बंग-भंग विद्रोह के दौरान 1905 में राजनीति से जुड़े। 1906 में कोंग्रस से जुड़े। 1907 कोंग्रस सूरत अधिवेशन में भी शामिल हुए और रायपुर आकर विदेशी वस्तुओ के बहिस्कार का प्रचार किया।
नहर सत्याग्रह: नहर के जल में लगने वाले जल कर के विरोध में जुलाई 1920 में नारायण मेघवाले के साथ मिलकर पण्डित सुन्दरलाल शर्मा ने कसडोल में सत्याग्रह का आयोजन किया। इस दौरान महात्मा गांधी जी ( अली बंधू के साथ आये थे ) का छत्तीसगढ़ में प्रथम आगमन हुआ।
कण्डेल नहर सत्याग्रह: पण्डित सुन्दरलाल शर्मा ने 1920 ई. में कण्डेल ग्राम में सत्याग्रह में शुत्रधार की भूमिका निभाई।
जंगल ( वन ) सत्याग्रह: 21 जनवरी 1922 में सिहावा में नारायण मेघवाले के साथ मिलकर वन सत्याग्रह में भी शुत्रधार की भुमिका निभाई।
दिसंबर 1923 में, कांग्रेस के काकीनाड़ा ( आंध्रा ) अधिवेशन में भाग लेने के लिए पैदल जाने वालो में से एक थे।
अछूतोध्दार: पण्डित सुन्दरलाल शर्मा ने अछूतों को जनेऊ धारण करने, शराब न पिने के लिए प्रेरित किया। 1925 में पण्डित सुन्दरलाल शर्मा ने हरिजनों के साथ राजिम के राजीवलोचन मंदिर में प्रवेश किया। 1933 में जब महात्मा गांधी जी का दोबारा छत्तीसगढ़ आगमन हुआ तब उन्होंने पण्डित सुन्दरलाल शर्मा की प्रशंसा की और पण्डित सुन्दरलाल शर्मा को अपना गुरु कहकर सम्मानित किया।
20 अप्रैल 1932 ई. को सविनय अविज्ञा आंदोलन के दौरान पण्डित सुन्दरलाल शर्मा गिरफ्तार किये गये।
कण्डेल नहर सत्याग्रह: पण्डित सुन्दरलाल शर्मा ने 1920 ई. में कण्डेल ग्राम में सत्याग्रह में शुत्रधार की भूमिका निभाई।
जंगल ( वन ) सत्याग्रह: 21 जनवरी 1922 में सिहावा में नारायण मेघवाले के साथ मिलकर वन सत्याग्रह में भी शुत्रधार की भुमिका निभाई।
दिसंबर 1923 में, कांग्रेस के काकीनाड़ा ( आंध्रा ) अधिवेशन में भाग लेने के लिए पैदल जाने वालो में से एक थे।
अछूतोध्दार: पण्डित सुन्दरलाल शर्मा ने अछूतों को जनेऊ धारण करने, शराब न पिने के लिए प्रेरित किया। 1925 में पण्डित सुन्दरलाल शर्मा ने हरिजनों के साथ राजिम के राजीवलोचन मंदिर में प्रवेश किया। 1933 में जब महात्मा गांधी जी का दोबारा छत्तीसगढ़ आगमन हुआ तब उन्होंने पण्डित सुन्दरलाल शर्मा की प्रशंसा की और पण्डित सुन्दरलाल शर्मा को अपना गुरु कहकर सम्मानित किया।
20 अप्रैल 1932 ई. को सविनय अविज्ञा आंदोलन के दौरान पण्डित सुन्दरलाल शर्मा गिरफ्तार किये गये।