जाज्वल्यदेव प्रथम कलचुरि शासक थे। इन्होने 1090ई. से 1120 ई. तक शासन किया। जाज्वल्यदेव प्रथम पृथ्वीदेव प्रथम के उत्तराधिकारी थे।
इन्होंने ने त्रिपुरी की अधीनता को अस्वीकार कर अपने को स्वतंत्र घोषित किया। इन्होने बस्तर के छिन्दक-नागवंशी शासक सोमेश्वरदेव को भी पराजित किया। जाज्वल्यदेव ने उड़ीसा में आक्रमण कर सुवर्णपुर के राजा भुजबल को पराजित किया।
इन्होने सोने एवं तांबे के सिक्के जारी किये। जाज्वल्यदेव अपने नाम पर एक नगर जाज्वल्यपुर ( वर्तमान - जांजगीर ) की स्थापना की थी और पाली स्थित शिव मंदिर का जीर्णोद्धार भी करवाया।
इन्होने सोने एवं तांबे के सिक्के जारी किये। जाज्वल्यदेव अपने नाम पर एक नगर जाज्वल्यपुर ( वर्तमान - जांजगीर ) की स्थापना की थी और पाली स्थित शिव मंदिर का जीर्णोद्धार भी करवाया।