मदकू द्वीप छत्तीसगढ़ - Madaku Island



मद्कू द्विप छत्तीसगढ़ राज्य के मुंगेली जिला में शिवनाथ नदी पर स्थित है। यह द्विप करीब 55 एकड़ में फैला हुआ है।  इस द्विप पर प्राचीन शिव मंदिर एवं कई स्थापत्य खंड हैं। लगभग 10वीं 11वीं सदी के दो अत्यंत प्राचीन शिव मंदिर इस द्वीप पर स्थित है। इनमे से एक धूमनाथेश्वर तथा एक प्राचीन जलहरी स्थित है जिससे पानी का निकास होता है। इसी स्थान पर दो प्राचीन शिलालेख मिले हैं। पहला शिलालेख लगभग 3 ई. का ब्राम्ही शिलालेख है, इसमें अक्षय निधि एवं दूसरा शिलालेख शंखलिपि के अक्षरों में लिखा हुआ है।

यह स्थल पौराणिक मान्यतानुसार केदार द्वीप के नाम से प्रसिद्ध है। जिस वजह से मदकूद्वीप को केदार तीर्थ के रूप में भी जाना जाता है।

>>छत्तीसगढ़ के पर्यटन स्थल

इस द्वीप में प्रागैतिहासिक काल के लघु पाषाण शिल्प भी उपलब्ध हैं। सिर विहीन पुरुष की राजप्रतिमा की प्रतिमा स्थापत्य एवं कला की दृष्टि से 10वीं 11वीं सदी ईसा की प्रतीत होती है। पुरातत्व विभाग द्वारा खुदाई मेँ गुप्तकालीन एवं कल्चुरी कालीन प्राचीन मूर्तियाँ मिली हैं। कल्चुरी कालीन चतुर्भुजी नृत्य गणेश की प्रतिमा बकुल पेड़ के नीचे मिली है। 11वीं शताब्दी की यह एकमात्र सुंदर प्रतिमा है।

मदकू द्वीप की खुदाई में 6 शिव मंदिर, 13 स्पार्तलिंग और एक-एक उमा-महेश्वर और गरुड़ारूढ़ लक्ष्मी-नारायण मंदिर मिले। बाद में वहां पत्थरों को मिलाकर मंदिरों का रूप दिया गया।


शिलालेख :
इंडियन इपिग्राफी वर्ष 1959-60 के अनुसार यहाँ से प्राप्त दो शिलालेखों का उल्लेख है। इसमें से एक लगभग 3 ईस्वी का ब्राह्मी अभिलेख है जिसमें किसी अक्षय निधि का उल्लेख है। दूसरा शिलालेख शंख लिपि में है।



स्मार्त लिंग (Smart Linga) क्या होता है?

शंकराचार्य जी ने पंचायतन मंदिर की प्रथा प्रारंभ की। उन्होने पांचो सम्प्रदायों (शैव, वैष्णव, शाक्त, गाणपत्य, अघोर ) के उपासक देवताओं के पाँच लिंगो को एक ही प्लेट्फ़ार्म पर स्थापित किया। जिसे स्मार्त लिंग कहते हैं। जिससे पांचों सम्प्रदाय के लोग एक ही स्थान पर आकर पूजा कर लें। और इस सम्प्रदाय को स्मार्त सम्प्रदाय कहा जाता है। भारत में मद्कू द्वीप ही एक मात्र ऐसा स्थान है जहाँ 13 स्मार्त लिंग मिले हैं। यहाँ दो युगल मंदिर भी मिले हैं।

मदकू द्वीप का नामकरण :
मान्यता है की इस स्थान पर मंडूक ऋषि निवास करते थे। मंडूक ऋषि ने यहीं पर मंडूकोपनिषद की रचना की थी. उन्हीं के नाम पर इस जगह का नाम मंडूक पड़ा।


छत्तीसगढ़ मसीही मेला मदकू द्वीप में 6 से 12 फरवरी तक होता है।