छत्तीसगढ़ के कवर्धा क्षेत्र में नाग वंशी शासको का शासन था। इन्हें फणीनांग वंश के नाम से जाना जाता था। ये अपनी उत्पत्ति अहि एवं जतकर्ण ऋषि की कन्या मिथिला से मानते है, जिस वजह से इस वंश को अहि-मिथिला वंश भी कहते है। इस वंश के संस्थापक अहिराज थे।
फणीनांगवंश के प्रमुख शासक:
- अहिराज - प्रथम शासक
- गोपालदेव - ये इस वंश के 6 वे राजा थे। कल्चुरि शासक पृथ्वीदेव प्रथम के अधीन शासन किया। इनके शासन काल में भोरमदेव मंदिर का निर्माण(1089 ई.) हुआ।
- रामचंद्र देव - इनका विवाह कलचुरि राजकुमारी अम्बिका देवी से हुआ। इनके विवाह के लिए मड़वा महल (दुल्हा देव : 1349) का निर्माण किया गया था।
- मोनिंगदेव - इन्हें अंतिम शसक माना जाता है। कलचुरि शासक ब्रम्हदेव ने इन्हें पराजित किया।