अरण्यक गुफा बस्तर के तोकापाल से करीब 12 किमी दूर मांदरकोंटा नामक गांव के निकट मंगलपुर पहाड़ी पर स्थित है, इस गुफा की खोज वर्ष 1991 में बस्तर कोच समिती के सदस्य मनीष गुप्ता, डॉ. सुरेश तिवारी, रूद्रनारायण पानीग्राही, डॉ. मरकाम और सेमसन आदि के द्वारा की गई थी। गुफा कांगेर घाटी राष्टीय उद्यान क्षेत्र से बाहर आता है।
गुफा करीब 179 फीट लंबी है। गुफा में स्टेलेग्माइट और स्टेलेक्टाइट की सैकडों श्वेत आकृतियां है। इस गुफा के बडे कक्ष के उपर लटका हुआ बड़ा स्टेलेग्माइट किसी झूमर के समान दिखाई पड़ता है। यह झूमर बस्तर की अन्य गुफाओं के झूमर से बडा है।
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गुफा करीब 179 फीट लंबी है। गुफा में स्टेलेग्माइट और स्टेलेक्टाइट की सैकडों श्वेत आकृतियां है। इस गुफा के बडे कक्ष के उपर लटका हुआ बड़ा स्टेलेग्माइट किसी झूमर के समान दिखाई पड़ता है। यह झूमर बस्तर की अन्य गुफाओं के झूमर से बडा है।
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