स्वराज का अर्थ "अपना राज्य" है। स्वराज दल भारत के स्वतंत्रता संग्राम के समय गठित एक राजनैतिक दल था। जिसका उद्देश्य स्व-शासन तथा राजनीतिक स्वतंत्रता प्राप्त करना था।
स्थापना :
महात्मा गांधी जी ने सन् 1922 में चौरी चौरा काण्ड की वजह से असहयोग आन्दोलन वापस ले लिया जिससे कांग्रेस के कई नेता नाराज हो गए। सन् 1922 में कांग्रेस के गया वार्षिक अधिवेश के बाद 1 जनवरी 1923 ई. में चित्तरंजन दास, नरसिंह चिंतामन केलकर, मोतीलाल नेहरू और विट्ठल भाई पटेल ने कांग्रेस-खिलाफत स्वराज्य पार्टी नाम के दल की स्थापना की जिसके अध्यक्ष चित्तरंजन दास बनाये गये और मोतीलाल उसके सचिव बनाये गये। इनका मुख्य उद्देश्य प्रांतीय चुनाव लड़ कर विधानसभा में प्रवेश करना था।
छत्तीसगढ़ में स्वराज पार्टी :
छत्तीसगढ़ में रायपुर एवं बिलासपुर में स्वराज दल के शाखाओ की स्थापना हुई। छत्तीसगढ़ में ई. राघवेंद्रराव प्रमुख कार्यकर्ता थे। और छत्तीसगढ़ स्वराज दल के अध्यक्ष भी बने।
छत्तीसगढ़ में रायपुर एवं बिलासपुर में स्वराज दल के शाखाओ की स्थापना हुई। छत्तीसगढ़ में ई. राघवेंद्रराव प्रमुख कार्यकर्ता थे। और छत्तीसगढ़ स्वराज दल के अध्यक्ष भी बने।
प्रमुख नेता:
पं. रविशंकर ( रायपुर )
शिवदास डागा ( रायपुर )
ई. राघवेंद्र राव ( बिलासपुर )
बैरिस्टर छेदिलाल ( बिलासपुर )
घनश्याम सिंह गुप्त ( दुर्ग )
पं. रविशंकर ( रायपुर )
शिवदास डागा ( रायपुर )
ई. राघवेंद्र राव ( बिलासपुर )
बैरिस्टर छेदिलाल ( बिलासपुर )
घनश्याम सिंह गुप्त ( दुर्ग )
छत्तीसगढ़ के निर्वाचीत प्रतिनिधि ( 1923 )
मध्यप्रान्त एवं बरार में 1923 के व्यवस्थापिका चुनाव में स्वराज पार्टी के निम्न सदस्य छत्तीसगढ़ से निर्वाचीत हुए।
ई. राघवेंद्रराव
पं. रविशंकर
बैरिस्टर छेदिलाल
घनश्याम सिंह गुप्त
मध्यप्रान्त एवं बरार में 1923 के व्यवस्थापिका चुनाव में स्वराज पार्टी के निम्न सदस्य छत्तीसगढ़ से निर्वाचीत हुए।
ई. राघवेंद्रराव
पं. रविशंकर
बैरिस्टर छेदिलाल
घनश्याम सिंह गुप्त
वर्ष 1925 में चितरंजन दास की मृत्यु के बाद छत्तीसगढ़ में भी स्वराज दल को आघात पहुंचा और 1926 में वापस कांग्रेस में विलय हो गया। स्वराज दल के विघटन के पश्चात ई. राघवेंद्रराव ने "स्वतंत्र दल" का गठन किया।
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