ईब नदी महानदी की एक सहायक नदी है। ईब नदी का उद्गम छत्तीसगढ़ में जशपुर ज़िले के बगीचा तहसील में पाण्डराघाट में रानीझूला नामक स्थल से हुआ है।
यह नदी छत्तीसगढ़ तथा उड़ीसा राज्य में प्रवाहित होने वाली नदी है। यह नदी ढाल के अनुरूप उत्तर से दक्षिण की ओर जशपुर ज़िले में बहते हुए उड़ीसा राज्य में प्रवेश कर 'हीराकुंड' नामक स्थान से 10 कि.मी. पूर्व महानदी में मिलती है। छत्तीसगढ़ में इसकी कुल लम्बाई 87 कि.मी. है।
ईब नदी का अपवाह क्षेत्र सरगुजा के 250 वर्ग कि.मी. तथा रायगढ़ ज़िले के 3546 वर्ग कि.मी. में है। ईब नदी अपनी रेत में पाये जाने वाले प्राकृतिक स्वर्ण कणों के लिए भी काफ़ी प्रसिद्ध है। यहाँ सोनझरिया इस कार्य में लगे रहते हैं।
सहायक नदियां : 'मैनी नदी' तथा 'डोंड़की नदी'
घोरा जनजाति: फरसाबहार विकासखंड में निवासरत घोरा जनजाति के लोग कई पीढ़ियों से नदी की रेत से सोना निकालने का काम कर कर रहे हैं। नदी के उफान पर होने के बाद जब जलस्तर कम होता है, तो नदी अपने साथ बहुत सारी रेत छोड़ जाती है। इसलिए नदी में जलस्तर के बढ़ने से घोरा जनजाति के लोग खुश होते हैं और उनके घरों में उत्सव जैसा माहौल होता है।
परियोजना: जशपुर जिले के मनोरा ब्लॉक में पर्यटन स्थल गुल्लु जलप्रपात और बेने घाघ की प्राकृतिक जलप्रपात की सुंदरता को कायम रखते हुए वहां अविरल बह रहे ईब नदी पर 150 करोड़ रुपए की लागत से 24 मेगावाट का गुल्लु हाइड्रो पॉवर प्रोजेक्ट (Gullu Hydro-electric project) स्थापित किया गया है।
कोटेबिरा ( Kotebira ):
यह जिला मुख्यालय लगभग 60 किलोमीटर दूर, तपकारा के पास एब नदी में स्थित है। दूर से देखने पर यह पहाड़ी अधूरे बांध की तरह दिखाई देती है।
स्थानीय कथाओं के अनुसार यह माना जाता है कि एक बार यहाँ एक देव प्रकट हुए थे और उन्हें यह नदी बहुत पसंद आई, उन्होंने इस नदी की सुन्दरता को बढ़ाने के लिए इस पर एक रात में बांध बनाने का प्रयास किया, लेकिन यह प्रयास पूरा नहीं हो पाया और बांध अधूरा ही रह गया।
सहायक नदियाँ मैनी और डोंड़की कोतेबिरा/कोटेबिरा से पहले ईब में मिलती है। बरसात के मौसम में ओडिशा बॉर्डर पर स्थित प्रमुख धार्मिक पर्यटन स्थल कोतेबिरा धाम से उफनती ईब नदी के मनमोहक नजारे को देखने आसपास के इलाकों से लाेग यहां पहुंच रहे हैं। कोटेबिरा ईब नदी के पास ही प्रती वर्ष भव्य मेले का आयोजन भी किया जाता है।
कपाटद्वार : कोतेबिरा धाम में आस्था का प्रमुख केन्द्र कपाटद्वार है। कपाटद्वार ईब नदी के किनारे पहाड़ के नीचे है। यहां तक जाने के लिए रास्ता दर्गम है।
इन्हे देखें:
छत्तीसगढ़ कि प्रमुख नदियाँ
यह नदी छत्तीसगढ़ तथा उड़ीसा राज्य में प्रवाहित होने वाली नदी है। यह नदी ढाल के अनुरूप उत्तर से दक्षिण की ओर जशपुर ज़िले में बहते हुए उड़ीसा राज्य में प्रवेश कर 'हीराकुंड' नामक स्थान से 10 कि.मी. पूर्व महानदी में मिलती है। छत्तीसगढ़ में इसकी कुल लम्बाई 87 कि.मी. है।
ईब नदी का अपवाह क्षेत्र सरगुजा के 250 वर्ग कि.मी. तथा रायगढ़ ज़िले के 3546 वर्ग कि.मी. में है। ईब नदी अपनी रेत में पाये जाने वाले प्राकृतिक स्वर्ण कणों के लिए भी काफ़ी प्रसिद्ध है। यहाँ सोनझरिया इस कार्य में लगे रहते हैं।
सहायक नदियां : 'मैनी नदी' तथा 'डोंड़की नदी'
घोरा जनजाति: फरसाबहार विकासखंड में निवासरत घोरा जनजाति के लोग कई पीढ़ियों से नदी की रेत से सोना निकालने का काम कर कर रहे हैं। नदी के उफान पर होने के बाद जब जलस्तर कम होता है, तो नदी अपने साथ बहुत सारी रेत छोड़ जाती है। इसलिए नदी में जलस्तर के बढ़ने से घोरा जनजाति के लोग खुश होते हैं और उनके घरों में उत्सव जैसा माहौल होता है।
पर्यटन/झरना/जलप्रपात
गुल्लू जलप्रपात ( Gullu Waterfall ) - जशपुर से करीब 25 किलोमीटर की दूरी पर गुल्लू ग्राम में ईब नदी पर स्थित है।परियोजना: जशपुर जिले के मनोरा ब्लॉक में पर्यटन स्थल गुल्लु जलप्रपात और बेने घाघ की प्राकृतिक जलप्रपात की सुंदरता को कायम रखते हुए वहां अविरल बह रहे ईब नदी पर 150 करोड़ रुपए की लागत से 24 मेगावाट का गुल्लु हाइड्रो पॉवर प्रोजेक्ट (Gullu Hydro-electric project) स्थापित किया गया है।
कोटेबिरा ( Kotebira ):
यह जिला मुख्यालय लगभग 60 किलोमीटर दूर, तपकारा के पास एब नदी में स्थित है। दूर से देखने पर यह पहाड़ी अधूरे बांध की तरह दिखाई देती है।
स्थानीय कथाओं के अनुसार यह माना जाता है कि एक बार यहाँ एक देव प्रकट हुए थे और उन्हें यह नदी बहुत पसंद आई, उन्होंने इस नदी की सुन्दरता को बढ़ाने के लिए इस पर एक रात में बांध बनाने का प्रयास किया, लेकिन यह प्रयास पूरा नहीं हो पाया और बांध अधूरा ही रह गया।
सहायक नदियाँ मैनी और डोंड़की कोतेबिरा/कोटेबिरा से पहले ईब में मिलती है। बरसात के मौसम में ओडिशा बॉर्डर पर स्थित प्रमुख धार्मिक पर्यटन स्थल कोतेबिरा धाम से उफनती ईब नदी के मनमोहक नजारे को देखने आसपास के इलाकों से लाेग यहां पहुंच रहे हैं। कोटेबिरा ईब नदी के पास ही प्रती वर्ष भव्य मेले का आयोजन भी किया जाता है।
कपाटद्वार : कोतेबिरा धाम में आस्था का प्रमुख केन्द्र कपाटद्वार है। कपाटद्वार ईब नदी के किनारे पहाड़ के नीचे है। यहां तक जाने के लिए रास्ता दर्गम है।
इन्हे देखें:
छत्तीसगढ़ कि प्रमुख नदियाँ