अहमदाबाद में 1918 में हुए मिल मजदूर आंदोलन से भारत में मजदूर संघर्ष का सिलसिला प्रारंभ हो गया था। 1919 व 1920 में यह संघर्ष अपने विकास के शीर्ष पर पहुंच चुका था। और भारत के विभिन्न स्थानों पर मजदूरों ने आन्दोल किया। इन आंदोलनों का प्रभाव छत्तीसगढ़ में भी हुआ। सन् 1919 में ठाकुर प्यारेलाल ने राजनांदगांव स्थित BNC मिल ( बंगाल नागपुर कॉटन मिल ) के मजदूरों को एक किया। और 1920 में प्रदेश का प्रथम लंबा सफल आंदोलन हुआ। 1920 से 1937 के बीच प्रदेश में तीन मजदूर आंदोलन हुए।
प्रथम मजदूर आंदोलन 1920:
नेतृत्व - ठाकुर प्यारेलाल, शंकर खरे, शिवलाल मास्टर।
1920 में ठाकुर प्यारेलाल ने प्रदेश की पहली लंबी एवं सफल आंदोलन का नेतृत्व किया। इस आन्दोलन में उनका साथ शंकर खरे एवं शिवलाल मास्टर ने दिया। यह आंदोलन 36 दिनों तक चला। श्रमिक नेता वी.वी. गिरी का आगमन राजनांदगांव में इस आंदोलन के दौरान 1920 में हुआ।
इस आंदोलन की मांग थी कि मजदूरों की कार्य अवधि 8 घंटे निर्धारित किया जाए, कार्य करने की स्थिती में सुधार एवं वेतन वृद्धि।
द्वितीय मजदूर आंदोलन 1924:
प्रथम मजदूर आंदोलन की सफलता से मजदूरों के हौसले बुलंद हुए। और 1924 में ठाकुर प्यारेलाल जी के नेतृत्व में दूसरा आंदोलन हुआ।
कारण: रात्रि भोज के वक़्त एक सिपाही जूते पहन कर आया और बर्तनों को लात मारी। जीससे मजदूर भांडक गए। और सिपाही के साथ आये एक व्यक्ति की थप्पड़ भी मार दिया जिस पर पुलिस ने कार्यवाही करते हुए करीब 13 मजदूर नेताओ को गिरफ्तार कर लाया गया, 1 की मौत तथा 12 घायल हुए।
प्रथम मजदूर आंदोलन की सफलता से मजदूरों के हौसले बुलंद हुए। और 1924 में ठाकुर प्यारेलाल जी के नेतृत्व में दूसरा आंदोलन हुआ।
कारण: रात्रि भोज के वक़्त एक सिपाही जूते पहन कर आया और बर्तनों को लात मारी। जीससे मजदूर भांडक गए। और सिपाही के साथ आये एक व्यक्ति की थप्पड़ भी मार दिया जिस पर पुलिस ने कार्यवाही करते हुए करीब 13 मजदूर नेताओ को गिरफ्तार कर लाया गया, 1 की मौत तथा 12 घायल हुए।
इस आंदोलन की वजह से अंग्रेजो ने श्रमिकों की मांगो पर विचार करने की लिए जैक्सन आयोग का गUठन किया गया।
तृतीय मजदूर आंदोलन 1937:
16 नवंबर 1936 को मजदूरों के नेता ठाकुर प्यारेलाल पर राजनांदगांव रियासत के दीवान ने रियासत में प्रवेश करने पर प्रतिबंध लगा दिया। मिल मालिकों ने मजदूरों की एकता भंग करने की कोसिस की तथा मजदूरी 10% कम कर दी।
प्यारेलाल रियासत में नहीं आ सकते थे। इसलिए उन्होंने पर्चे बांटे। मजदूरों तक अपनी बाते पर्चो के माध्यम से पहुंचाया और हड़ताल जारी रखा। अंततः मिल मालिकों को झुकना पड़ा और आंदोलन सफल हुआ।
तृतीय मजदूर आंदोलन के दौरान मजदूर नेता रुइकर ने 1 अगस्त 1938 को राजनांदगांव स्टेट कांग्रेस की स्थापना की।
16 नवंबर 1936 को मजदूरों के नेता ठाकुर प्यारेलाल पर राजनांदगांव रियासत के दीवान ने रियासत में प्रवेश करने पर प्रतिबंध लगा दिया। मिल मालिकों ने मजदूरों की एकता भंग करने की कोसिस की तथा मजदूरी 10% कम कर दी।
प्यारेलाल रियासत में नहीं आ सकते थे। इसलिए उन्होंने पर्चे बांटे। मजदूरों तक अपनी बाते पर्चो के माध्यम से पहुंचाया और हड़ताल जारी रखा। अंततः मिल मालिकों को झुकना पड़ा और आंदोलन सफल हुआ।
तृतीय मजदूर आंदोलन के दौरान मजदूर नेता रुइकर ने 1 अगस्त 1938 को राजनांदगांव स्टेट कांग्रेस की स्थापना की।
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