मध्यप्रान्त ( छत्तीसगढ़ संहित ) का प्रथम प्रांतीय सम्मेलन 22 अप्रैल 1905 में अमरावती में आयोजित किया गया। जिसकी अध्यक्षता खापर्डे जी ने की। इस सम्मेलन में गंगाधर चिटणवीस स्वागत समिति के प्रधान थे।
19 जुलाई 1905 को तत्कालीन वाइसराय लॉर्ड कर्ज़न द्वारा बंगाल विभाजन के निर्णय की घोषणा की गई। यह विभाजन विभाजन 16 अक्टूबर 1905 से प्रभावी हुआ। बंगाल विभाजन के प्रति कांग्रेस के दृष्टिकोण का प्रचार इस क्षेत्र में ताराचंद्र नामक युवक एवं उसके सांथियो द्वारा किया गया। देश में स्वदेशी व बहिष्कार आंदोलन की सुरुवात हो गई। जिसका प्रभाव छत्तीसगढ़ पर भी पड़ा।
इस विभाजन के कारण सम्पूर्ण देश में उत्पन्न उच्च स्तरीय राजनीतिक अशांति के कारण 1911 में बंगाल के पूर्वी एवं पश्चिमी हिस्से पुनः एक हो गए।
मध्यप्रान्त में द्वितीय प्रांतीय राजनीतिक सम्मेलन 1906 में जबलपुर में हुआ। जिसकी अध्यक्षता गंगाधर चिटणवीस ने की।
आपके जानने योग्य अन्य लेख:
छत्तीसगढ़ में असहयोग आंदोलन 1920
छ्त्तीसगढ़ में राष्ट्रीय झण्डा सत्याग्रह - 1923
छत्तीसगढ़ में स्वराज दल
बी.एन.सी. मिल मजदूर आंदोलन राजनांदगांव
रोलेक्ट/रॉलेट एक्ट 1919 - छत्तीसगढ़ में प्रभाव
सूरत विभाजन 1907 का छत्तीसगढ़ में प्रभाव
छत्तीसगढ़ में कांग्रेस का गठन -1906
बंगाल विभाजन का छत्तीसगढ़ में प्रभाव
प्रांतीय राजनीतिक सम्मेलन 1905
छत्तीसगढ़ में होमरूल लीग आंदोलन
छत्तीसगढ़ में असहयोग आंदोलन 1920
छ्त्तीसगढ़ में राष्ट्रीय झण्डा सत्याग्रह - 1923
छत्तीसगढ़ में स्वराज दल
बी.एन.सी. मिल मजदूर आंदोलन राजनांदगांव
रोलेक्ट/रॉलेट एक्ट 1919 - छत्तीसगढ़ में प्रभाव
सूरत विभाजन 1907 का छत्तीसगढ़ में प्रभाव
छत्तीसगढ़ में कांग्रेस का गठन -1906
बंगाल विभाजन का छत्तीसगढ़ में प्रभाव
प्रांतीय राजनीतिक सम्मेलन 1905
छत्तीसगढ़ में होमरूल लीग आंदोलन