भारत में लगभग 550 जनजातियाँ हैं। 2011 की जनसंख्या के अनुसार इनकी कुल जनसंख्या करीब 10.43 करोड़ है, जो भारत की कुल जनसंख्या का 8.6 प्रतिशत है।
छत्तीसगढ़ में अनुसूचित जनजातियों की 42 घोषित समूह है। जिनकी जनसंख्या 78 लाख 22 हजार है, जो छत्तीसगढ़ की कुल जनसंख्या का 30.62 प्रतिशत है।
ये जनजातियाँ दुर्गम एवं दूरस्थ स्थानों पर निवास करते है। जिस वजह से मुख्यधारा से कट जाते है। इनकी मुख्य समस्याएँ निम्न है।
1) दुर्गम निवास
यह एक प्रमुख समस्या है। जनजातीय दुर्गम एवं दूरस्थ स्थान में निवास करते है। आवागमन में असुविधा होती है, और संचार साधनों का अभाव होता है।जिस वजह से मुख्यधारा से कट जाते है।
यह एक प्रमुख समस्या है। जनजातीय दुर्गम एवं दूरस्थ स्थान में निवास करते है। आवागमन में असुविधा होती है, और संचार साधनों का अभाव होता है।जिस वजह से मुख्यधारा से कट जाते है।
2) अशिक्षा
अशिक्षा जनजाति समुह की के विकाश में एक प्रमुख बाधा है। शिक्षकों एवं सुविधाओं की कमी आदि ऐसे कारक है, जो जनजातीय क्षेत्रो में शिक्षा के विस्तार को बाधित करती है।
अशिक्षा जनजाति समुह की के विकाश में एक प्रमुख बाधा है। शिक्षकों एवं सुविधाओं की कमी आदि ऐसे कारक है, जो जनजातीय क्षेत्रो में शिक्षा के विस्तार को बाधित करती है।
3) प्राकृतिक संसाधनों पर नियंत्रण की समाप्ति
जनजाति समुहो का हमेसा से प्राकृतिक संसाधनों पर पूर्ण नियंत्रण रहा था।परंतु, ब्रिटिश शासन आने के बाद राजकीय नियंत्रण लागू हो गया। परिणामस्वरूप परंपरागत प्राकृतिक संसाधनों पर जनजातीय नियंत्रण समाप्त हो गया।
जनजाति समुहो का हमेसा से प्राकृतिक संसाधनों पर पूर्ण नियंत्रण रहा था।परंतु, ब्रिटिश शासन आने के बाद राजकीय नियंत्रण लागू हो गया। परिणामस्वरूप परंपरागत प्राकृतिक संसाधनों पर जनजातीय नियंत्रण समाप्त हो गया।
4) बेरोजगारी
प्राकृतिक संसाधनों पर जनजातीय नियंत्रण ना होने तथा काम शिक्षित होने के कारण नई ( आधुनिक ) व्यवस्था में इनके लिए रोजगार के साधन भी सीमित है।
प्राकृतिक संसाधनों पर जनजातीय नियंत्रण ना होने तथा काम शिक्षित होने के कारण नई ( आधुनिक ) व्यवस्था में इनके लिए रोजगार के साधन भी सीमित है।
5) विस्थापन एवं पुनर्वास
जनजातीय क्षेत्रो में खनिज खदाने, बिजली परियोजना, बड़े बांध तथा विशाल औधोगिक संयंत्र स्थापित करने हेतु व्यापक भूमि अधिग्रहण हुए है। जिस वजह से विस्थापन की समस्या ने जन्म लिया।
जनजातीय क्षेत्रो में खनिज खदाने, बिजली परियोजना, बड़े बांध तथा विशाल औधोगिक संयंत्र स्थापित करने हेतु व्यापक भूमि अधिग्रहण हुए है। जिस वजह से विस्थापन की समस्या ने जन्म लिया।
विस्थापन की वजह से "सांस्कृतिक संपर्क" की समस्या ने जन्म लिया। विस्थापन उपरांत अपने क्षेत्र से बाहर ( या शहरी क्षेत्र ) निवास करने से इन्हें मनोवैज्ञानिक समस्याओ का सामना करना पड़ता है।
6) निर्धनता
अशिक्षा, बेरोजगारी तथा अपनी आजीविका के साधनों से वंचित होने की वजह से जनजातीयो में गरीबी, भूखमरी की समस्या का सामना करते है। और भारी ब्याज लेने पर मजबूर हुए।
अशिक्षा, बेरोजगारी तथा अपनी आजीविका के साधनों से वंचित होने की वजह से जनजातीयो में गरीबी, भूखमरी की समस्या का सामना करते है। और भारी ब्याज लेने पर मजबूर हुए।
7) पहचान का क्षय
जनजातियों की परंपरागत संस्थानों एवं कानूनों का आधुनिक संस्थानों एवं कानूनी व्यवस्था के साथ टकराव होने से जनजातीय पहचान के क्षय की आशंकाओं का जन्म हुआ।
जनजातियों की परंपरागत संस्थानों एवं कानूनों का आधुनिक संस्थानों एवं कानूनी व्यवस्था के साथ टकराव होने से जनजातीय पहचान के क्षय की आशंकाओं का जन्म हुआ।
8) स्वास्थ्य संबंधित समस्याएँ एवं कुपोषण
जनजातीय क्षेत्रो में स्वास्थ्य संबंधित समस्याएँ व्याप्त है। जिनका प्रमुख कारण अशिक्षा, निर्धनता एवं असुरक्षित आजीविका का साधन है। इन क्षेत्रों में पीलिया, हैजा, मलेरिया जैसे बीमारियां व्याप्त है। इन क्षेत्रों में कुपोषण से जुड़ी हुई समस्याएं जैसे लौह तत्व की कमी, रक्ताल्पता तथा उच्च शिशु मृत्यु दर बड़ी समस्या है।
जनजातीय क्षेत्रो में स्वास्थ्य संबंधित समस्याएँ व्याप्त है। जिनका प्रमुख कारण अशिक्षा, निर्धनता एवं असुरक्षित आजीविका का साधन है। इन क्षेत्रों में पीलिया, हैजा, मलेरिया जैसे बीमारियां व्याप्त है। इन क्षेत्रों में कुपोषण से जुड़ी हुई समस्याएं जैसे लौह तत्व की कमी, रक्ताल्पता तथा उच्च शिशु मृत्यु दर बड़ी समस्या है।
9) मदिरापान
जनजातीय समूहों में मदिरापन परंपरा का हिस्सा है।
जनजातीय समूहों में मदिरापन परंपरा का हिस्सा है।
10) शोषण
जनजातीय क्षेत्रो के संसाधनों पर राजकीय नियंत्रण होने के बाद बाहरी लोगों का इनके क्षेत्रो में प्रवेश हुआ। इन बाहरी अधिकारी, कर्मचारी एवं भूस्वामियों ने जनजातियों का शोषण किया।
जनजातीय क्षेत्रो के संसाधनों पर राजकीय नियंत्रण होने के बाद बाहरी लोगों का इनके क्षेत्रो में प्रवेश हुआ। इन बाहरी अधिकारी, कर्मचारी एवं भूस्वामियों ने जनजातियों का शोषण किया।
इन समस्याओं के अलावा जनजातियों में एकीकरण की समस्या तथा राजनीतिक चेतना का भी अभाव भी रहा। आगे जनजातियों में लैंगिक मुद्दे ने भी जन्म लिया।
जनजातियों में परसंस्कृति ग्रहण की वजह से भी समस्याएँ उत्पन्न हुई।
1) जनजाति कला का ह्रास
2) जनजाति संस्कृति के प्रति तिरस्कार
3) जनजाति भाषा का ह्रास
4) समायोजन की समस्या
1) जनजाति कला का ह्रास
2) जनजाति संस्कृति के प्रति तिरस्कार
3) जनजाति भाषा का ह्रास
4) समायोजन की समस्या