छत्तीसगढ़ में पहली पुरातात्विक खोज 1910 में बंगाल / नागपुर रेलवे के एक इंजीनियर सी.जे. एंडरसन ने जो सी.जे. वेलिंगटन की सहायता से की थी। रायगढ़ जिले के सिंहनपुर में इस तरह के काम का उल्लेख 1918 में किया गया था। इसके बाद पी ब्राउन, ए.एन. दत्ता (1927), एम. घोष (1932), एल.पी. पांडे (1933), डी.एच. गॉर्डन (1939), जे.पी. गुप्ता (1960 - 1967), पी. मित्रा (1961), एस.के. पांडे (1969) और वी.एस. वाकणकर (1973), इस क्षेत्र में काफी जानकारी जुटाई।
कुटुमसर गुफा : यह गुफा बस्तर जिला मुख्यालय जगदालपुर से लगभग 35 किलोमीटर दूर कांगेरघाटी राष्ट्रीय उद्यान में स्थित है। इस गुफा की खोज डॉ. प्रोफेसर शंकर तिवारी ने की थी। 1980 में डॉ. जयंत बिस्वास ने पहली बार गुफा को व्यवस्थित रूप से मापन किया। इसकी लंबाई 4500 फीट है। पूर्ण पढ़ें।
कैलाश गुफा : यह गुफा बस्तर जिला मुख्यालय जगदलपुर से दक्षिण पूर्व की ओर कांगेर घाटी राष्ट्रीय में फैली हुई तुलसी डोंगरी की पहाड़ी पर स्थित है। यह गुफा 250 मीटर लंबी तथा 35 मीटर गहरी है। इस गुफा में जगह- जगह शिवलिंग जैसी आकृतियां बनी हुई है, जिस कारण से इस गुफा को कैलाश गुफा के नाम से जाना जाता है। इस गुफा के बाहर कैलाश झील स्थित है। बस्तर के अलावा इसी नाम से एक और गुफा जशपुर जिले में भी स्थित है। यह गुफा रामेश्वर गुरू गहिरा बाबा आश्रम के नाम से जाना जाता है। संत गुरू गहिरा ने चट्टानों को तराश्कर इस गुफा का निर्माण किया था। इस गुफा के समीप ही गंगा झरना स्थित है।
कबरा पहाड़ गुफा : यह गुफा रायगढ़ जिला मुख्यालय से 8 किलोमीटर पूर्व की दिशा में स्थित है। इस गुफा में प्राचीनतम मानव निवास के प्रमाण मिले हैं। यहां की दीवारों पर पाषाणकालीन मानव द्वारा रंगीन चित्रकारी की गई है। यहां लगभग 2000 फीट की उंचाई पर गहरे गैरिक रंग के शैलचित्र बने हुए हैं। जिनमें हिरण, घोड़ा तथा कछुआ के चित्र बने हुए हैं।यहां जंगली भैंसे का बहुत बड़ा चित्र भी है।
सिंघनपुर गुफा : यह गुफा रायगढ़ जिला मुख्यालय से 20 किलोमीटर की दूरी पर तथा भूपदेवपुर रेलवे स्टेशन से मात्र 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। गुफा लगभग 30 हजार साल पुराना है, इनकी खोज एंडरसन द्वारा 1910 में की गई थी। इंडिया पेंटिग्स 1918 में तथा इन्साइक्लोपिडिया ब्रिटेनिका के १३ वें अंक में रायगढ़ जिले के सिंघनपुर के शैलचित्रों का प्रकाशन पहली बार हुआ था। पूर्ण पढ़ें।
रामगढ़ गुफा : रामगढ़ गुफा सरगुजा जिले में विंध्याचल पर्वत श्रृंखला में स्थित है। यहां विश्व की प्राचीनतम नाट्यशाला "सीता बेंगरा" स्थित है। प्राचीन मान्यता के अनुसार भगवान श्रीराम ने वनवास के समय कुछ समय यहीं व्यतीत किए थे। इस गुफा में कालीदास ने मेघदूतम की रचना की थी। मेघदूतम में रामगिरी का उल्लेख है। यह गुफा कवि कालीदास की यक्ष की विरह स्थली कही जाती है।
जोगीमारा गुफा : यह गुफा रायगढ़ जिले में रामगिरी पर्वत पर सीताबेंगरा गुफा के निकट स्थित है। इस गुफा में यक्ष, किन्नर, देवी देवताओं के चित्र बने हुए हैं, जो अजंता की गुफाओं के समकालीन है। यहां गुफा की छत पर रंग बिरंगें चित्र, पशु-पक्षी, नर-नारी, पतती-पुष्प, देवी- देवताओं दानव, योध्दा, वृक्ष, हाथी के चित्र अंकित है। प्रसिध्द पुरातत्ववेत्ता केप्टन टी ब्लाश ने सन 1904 में इन चित्रों का अवलोकन किया था, जिसे 2000 वर्षों से भी अधिक पुराना माना है। यहां पाली भाषा एवं ब्राम्ही लिपि में उत्कीर्ण लेख प्राप्त हुआ है, जिससे यह ज्ञात होता है कि यह गुफा मौर्यकालीन है। यह गुफा तीसरी शताब्दी का है।
डूमरकरपन गुफा : दरभा क्षेत्र में पेदावाड़ा के पहले पहाड़ियों में डूमर के पेड़ के नीचे से शुरू होती है, जिस वजह से इसे दुमरकरपन कहा जाता है। यह दो भागो में बटा हुआ हैै, पहला करीब 45 मीटर का और दूसरा 25 मीटर गहराई तक है। इसमें भी स्टेलेक्टाइट ओर स्टेलेग्माइट की संरचनाएं बनी हुई है। इस गुफा में साही भी पाया जाता है।
हरी गुफा: यह गुफा कोटमसर से कुछ ही दूर स्थित है। गुफा में सूर्य की किरणें ज्यादा समय के लिए नहीं पड़ती हैं जिससे यहां स्टेलेक्टाइट की प्राकृतिक संरचना पर काई नुमा हरे शैवाल उग आए हैं, जिससे इन पर हरा रंग चढ़ाया मालूम पड़ता है।
झूमर गुफा : ये गुफा जगदलपुर-दरभा मार्ग से पेद्दावाड़ा के रास्ते पर गांव के पहले की पहाड़ी पर है। डूमरकरपन और झूमर गुफा आसपास ही स्थित है। इसके भीतर स्टेलेक्टाइट की संरचनाएं हैं। इसकी बनावट और सफेदी के कारण लगता है कि गुफा में झूमर टंगे हों।जिस वजह से इसे झूमर गुफा कहा जाता है।
इन गुफाओं के अलावा राज्य में अनेक कई गुफाएं है जिसका संक्षिप्त विवरण निम्नानुसार है :-
कुटुमसर गुफा : यह गुफा बस्तर जिला मुख्यालय जगदालपुर से लगभग 35 किलोमीटर दूर कांगेरघाटी राष्ट्रीय उद्यान में स्थित है। इस गुफा की खोज डॉ. प्रोफेसर शंकर तिवारी ने की थी। 1980 में डॉ. जयंत बिस्वास ने पहली बार गुफा को व्यवस्थित रूप से मापन किया। इसकी लंबाई 4500 फीट है। पूर्ण पढ़ें।
कैलाश गुफा : यह गुफा बस्तर जिला मुख्यालय जगदलपुर से दक्षिण पूर्व की ओर कांगेर घाटी राष्ट्रीय में फैली हुई तुलसी डोंगरी की पहाड़ी पर स्थित है। यह गुफा 250 मीटर लंबी तथा 35 मीटर गहरी है। इस गुफा में जगह- जगह शिवलिंग जैसी आकृतियां बनी हुई है, जिस कारण से इस गुफा को कैलाश गुफा के नाम से जाना जाता है। इस गुफा के बाहर कैलाश झील स्थित है। बस्तर के अलावा इसी नाम से एक और गुफा जशपुर जिले में भी स्थित है। यह गुफा रामेश्वर गुरू गहिरा बाबा आश्रम के नाम से जाना जाता है। संत गुरू गहिरा ने चट्टानों को तराश्कर इस गुफा का निर्माण किया था। इस गुफा के समीप ही गंगा झरना स्थित है।
कबरा पहाड़ गुफा : यह गुफा रायगढ़ जिला मुख्यालय से 8 किलोमीटर पूर्व की दिशा में स्थित है। इस गुफा में प्राचीनतम मानव निवास के प्रमाण मिले हैं। यहां की दीवारों पर पाषाणकालीन मानव द्वारा रंगीन चित्रकारी की गई है। यहां लगभग 2000 फीट की उंचाई पर गहरे गैरिक रंग के शैलचित्र बने हुए हैं। जिनमें हिरण, घोड़ा तथा कछुआ के चित्र बने हुए हैं।यहां जंगली भैंसे का बहुत बड़ा चित्र भी है।
सिंघनपुर गुफा : यह गुफा रायगढ़ जिला मुख्यालय से 20 किलोमीटर की दूरी पर तथा भूपदेवपुर रेलवे स्टेशन से मात्र 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। गुफा लगभग 30 हजार साल पुराना है, इनकी खोज एंडरसन द्वारा 1910 में की गई थी। इंडिया पेंटिग्स 1918 में तथा इन्साइक्लोपिडिया ब्रिटेनिका के १३ वें अंक में रायगढ़ जिले के सिंघनपुर के शैलचित्रों का प्रकाशन पहली बार हुआ था। पूर्ण पढ़ें।
रामगढ़ गुफा : रामगढ़ गुफा सरगुजा जिले में विंध्याचल पर्वत श्रृंखला में स्थित है। यहां विश्व की प्राचीनतम नाट्यशाला "सीता बेंगरा" स्थित है। प्राचीन मान्यता के अनुसार भगवान श्रीराम ने वनवास के समय कुछ समय यहीं व्यतीत किए थे। इस गुफा में कालीदास ने मेघदूतम की रचना की थी। मेघदूतम में रामगिरी का उल्लेख है। यह गुफा कवि कालीदास की यक्ष की विरह स्थली कही जाती है।
जोगीमारा गुफा : यह गुफा रायगढ़ जिले में रामगिरी पर्वत पर सीताबेंगरा गुफा के निकट स्थित है। इस गुफा में यक्ष, किन्नर, देवी देवताओं के चित्र बने हुए हैं, जो अजंता की गुफाओं के समकालीन है। यहां गुफा की छत पर रंग बिरंगें चित्र, पशु-पक्षी, नर-नारी, पतती-पुष्प, देवी- देवताओं दानव, योध्दा, वृक्ष, हाथी के चित्र अंकित है। प्रसिध्द पुरातत्ववेत्ता केप्टन टी ब्लाश ने सन 1904 में इन चित्रों का अवलोकन किया था, जिसे 2000 वर्षों से भी अधिक पुराना माना है। यहां पाली भाषा एवं ब्राम्ही लिपि में उत्कीर्ण लेख प्राप्त हुआ है, जिससे यह ज्ञात होता है कि यह गुफा मौर्यकालीन है। यह गुफा तीसरी शताब्दी का है।
डूमरकरपन गुफा : दरभा क्षेत्र में पेदावाड़ा के पहले पहाड़ियों में डूमर के पेड़ के नीचे से शुरू होती है, जिस वजह से इसे दुमरकरपन कहा जाता है। यह दो भागो में बटा हुआ हैै, पहला करीब 45 मीटर का और दूसरा 25 मीटर गहराई तक है। इसमें भी स्टेलेक्टाइट ओर स्टेलेग्माइट की संरचनाएं बनी हुई है। इस गुफा में साही भी पाया जाता है।
हरी गुफा: यह गुफा कोटमसर से कुछ ही दूर स्थित है। गुफा में सूर्य की किरणें ज्यादा समय के लिए नहीं पड़ती हैं जिससे यहां स्टेलेक्टाइट की प्राकृतिक संरचना पर काई नुमा हरे शैवाल उग आए हैं, जिससे इन पर हरा रंग चढ़ाया मालूम पड़ता है।
झूमर गुफा : ये गुफा जगदलपुर-दरभा मार्ग से पेद्दावाड़ा के रास्ते पर गांव के पहले की पहाड़ी पर है। डूमरकरपन और झूमर गुफा आसपास ही स्थित है। इसके भीतर स्टेलेक्टाइट की संरचनाएं हैं। इसकी बनावट और सफेदी के कारण लगता है कि गुफा में झूमर टंगे हों।जिस वजह से इसे झूमर गुफा कहा जाता है।
इन गुफाओं के अलावा राज्य में अनेक कई गुफाएं है जिसका संक्षिप्त विवरण निम्नानुसार है :-
- हाथी पोर की गुफाएं : रामगढ़ के पास (सरगुजा जिला) ·
- सीताबेंगरा गुफा : रामगढ़ के पास (सरगुजा जिला) ·
- लक्ष्मण बेंगरा गुफा : रामगढ़ के पास (सरगुजा जिला) ·
- सीतामढ़ी गुफा : घाघरा (सरगुजा जिला) ·
- आरा पहाड़ की गुफाएं : राजपुर (सरगुजा जिला) ·
- हरचौका की गुफा : मरवाही, जनकपुर तहसील (कोरिया जिला) ·
- कांगेर करपन गुफा : कांगेर घाटी (बस्तर जिला) ·
- दण्डक गुफा : कांगेर घाटी (बस्तर जिला) ·
- देवगिरी गुफा : कांगेर घाटी (बस्तर जिला) ·
- अरण्यक गुफा : मंगलपुरी पहाड़ी (बस्तर जिला) ·
- शीत गुफा : कांगेर घाटी (बस्तर जिला) ·
- गुप्तेश्वर गुफा : कांगेर घाटी (बस्तर जिला) ·
- लाफा(चैतुरगढ़) की गुफा : लाफा (कोरबा जिला) ·
- खुडि़या रानी गुफा : खुडि़या रानी, बगीचा (जशपुर जिला) ·
- कैलाश गुफा : बगीचा के पास (जशपुर जिला) ·
- सरोवर गुफा : सिहावा (धमतरी जिला) ·
- दंतेश्वरी गुफा : सिहावा (धमतरी जिला) ·
- अमर गुफा : सोनबरसा, खरसिया (रायगढ़ जिला)
- जोगी गुफा : कांकेर (कांकेर जिला) ·
- नडापल्ली गुफा : बीजापुर
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