गंगरेल |
राज्य की प्रमुख फसल धान है, जिसके लिए अधिक पानी की आवश्यकता होती है। राज्य गठन के समय प्रदेश में निर्मित 03 वृहद, 29 मध्यम एवं 1,945 लघु सिंचाई योजनाओं से कुल 13.28 लाख हेक्टेयर में सिंचाई क्षमता सृजित थी, जो वर्तमान में (मार्च 2020 तक) 21. 21 लाख हेक्टेयर हो गई है। इस तरह राज्य निर्माण के पश्चात कुल 7.93 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में अतिरिक्त सिंचाई क्षमता की वृद्धि हुई। वर्तमान में प्रदेश की सिंचाई का प्रतिशत 38.20 हो गया है। आगामी वर्षों में राज्य के कुल बोये गए क्षेत्र का 75 प्रतिशत अर्थात 43 लाख हेक्टयर में से 32 लाख हेक्टयर क्षेत्र में सतही जल से सिंचाई क्षमता विकसित करने का लक्ष्य है।
निर्मित एवं निर्माणाधीन योजनाएं 2020 :
वर्तमान में 08 वृहद, 37 मध्यम, 2,401 लघु सिंचाई योजनाएं तथा 30 नलकूप योजना एवं 734 एनीकट/ स्टापडेम निर्मित हैं जयकि 04 वृहद, 01 मध्यम एवं 416 लघु सिंचाई योजनाएं तथा 01 नलकूप योजना एवं 186 एनीकट/ स्टापडेम निर्माणाधीन हैं।
प्रमुख परियोजनाएं :
हसदेव नदी पर कोरबा जिले के बांगो ग्राम मे निर्मित "बांगो परियोजना ( मिनीमाता )" छत्तीसगढ़ का प्रथम बहुउद्देश्यीय परियोजना थी। जिसकी स्थापना 1967 मे की गई। लगभग 2.5 लाख हेक्टेयर क्षेत्र सिंचित होती है। यह प्रदेश का सबसे ऊंचा (87 मीटर) बांध है। इस बांध में 120 मेगावाट की पनबिजली संयंत्र मचाडोली है। इसके अलावा इस बांध से बालको, एन.टी.पी.सी कोरबा, कोरबा नगर निगम को जल की आपूर्ति भी होती है।
धमतरी में स्थित गंगरेल बांध छत्तीसगढ़ की सब से लम्बी एवं बड़ी परियोजना है। यह महानदी पर स्थित है, इसकी स्थापना 1979 में कई गई थी।
हसदेव नदी पर कोरबा जिले के बांगो ग्राम मे निर्मित "बांगो परियोजना ( मिनीमाता )" छत्तीसगढ़ का प्रथम बहुउद्देश्यीय परियोजना थी। जिसकी स्थापना 1967 मे की गई। लगभग 2.5 लाख हेक्टेयर क्षेत्र सिंचित होती है। यह प्रदेश का सबसे ऊंचा (87 मीटर) बांध है। इस बांध में 120 मेगावाट की पनबिजली संयंत्र मचाडोली है। इसके अलावा इस बांध से बालको, एन.टी.पी.सी कोरबा, कोरबा नगर निगम को जल की आपूर्ति भी होती है।
धमतरी में स्थित गंगरेल बांध छत्तीसगढ़ की सब से लम्बी एवं बड़ी परियोजना है। यह महानदी पर स्थित है, इसकी स्थापना 1979 में कई गई थी।
दुधवा बांध : यह बांध कांकेर जिले में, महानदी पर स्थित है। इसका निर्माण 1965 में हुआ। इस बांध की लाम्बई लगभग 2906 मीटर है। पूर्ण पढ़े
रुद्री पिक-अप वियर : धमतरी मे महानदी पर निर्मित यह परियोजना छत्तीसगढ़ की प्रथम परियोजना है। इसकी स्थापना 1915 मे की गई थी। 1993 मे इस परियोजना का स्थान रुद्री बैराज ने लिया। पूर्ण पढ़ें
तांदुला परियोजना : यह प्रथम नदी परियोजना है, इसकी स्थापना 1910 मे की गई थी। परंतु बांध निर्माण 1920 में हुआ। यह बांध तांदुला नदी पर तांदुला ग्राम जिला बालोद मे है। भिलाई इस्पात संयंत्र को इस परियोजना से जल की आपूर्ति की जाती है। पूर्ण पढ़ें
गोंदली जलाशय - यह परियोजना बालोद जिले में 1956 में जहर नदी पर स्थापित की गई थी।
खरखरा - यह परियोजना भी बालोद जिले में स्थित है। यह एक सायफन परियोजना है। इसकी स्थापना 1967 में खरखरा नदी पर की गई थी। इस जलाशय का निर्माण पूर्णतः मिट्टी से हुआ है। इसकी लाम्बई करीब 1127 मी. है।
मॉडमसिल्ली / मुरूमसिल्ली जलाशय : धमतरी मे सिलयारी नदी पर स्थित यह जलाशय छत्तीसगढ़ का प्रथम सायफन परियोजना है। इसकी स्थापना 1923 मे की गई थी।
छत्तीसगढ़ का सबसे लंबा बांध "रावीशंकर बांध" है। जिसकी स्थापना महानदी पर धमतरी ग्राम मे 1978 मे की गई थी।
कुम्हारी बांध : महानदी की सहायक नाला बंजारी नाला पर स्थित है। इस बांध के पानी का इस्तेमाल रायपुर जिले में सिंचाई के लिए किया जाता हैं।
किंकरी बांध : यह बांध किंकरी नाला में स्थित है। इसका निर्माण 1982 में हुआ था। सरंगढ़ क्षेत्र में इस बांध से सिंचाई की जाती है।
सुरुवात के सिंचाई परियोजनाओं के नाम :
1901 - भारतीय सिंचाई आयोग ने इस क्षेत्र को अकाल से बचने तथा विकास हेतु प्रतिवेदन प्रस्तुत किया और रायपुर वृत्त द्वारा 5 बड़े तालाब खोदवाये गए।
1910 - तांदुला नहर निर्माण आरम्भ, 1920 में बना।
1923 - मॉडमसिल्ली / मुरूमसिल्ली जलाशय।
1924 - मनियारी परियोजना, 1930 में तैयार।
1931 - खारंग टैंक।
1901 - भारतीय सिंचाई आयोग ने इस क्षेत्र को अकाल से बचने तथा विकास हेतु प्रतिवेदन प्रस्तुत किया और रायपुर वृत्त द्वारा 5 बड़े तालाब खोदवाये गए।
1910 - तांदुला नहर निर्माण आरम्भ, 1920 में बना।
1923 - मॉडमसिल्ली / मुरूमसिल्ली जलाशय।
1924 - मनियारी परियोजना, 1930 में तैयार।
1931 - खारंग टैंक।
महानदी कॉम्प्लेक्स :
विश्व बैंक की सहायता से 1980-81 मे महानदी कॉम्प्लेक्स की स्थापना किया गया। इसके अंतर्गत निम्न परियोजनाएँ है।
सोंढूर परियोजना - 1989 - सोंढूर ग्राम ( धमतरी )।
सिकासार परियोजना - 1995 - पैरी नदी पर सिकासार ग्राम, गरियाबंद।
विश्व बैंक की सहायता से 1980-81 मे महानदी कॉम्प्लेक्स की स्थापना किया गया। इसके अंतर्गत निम्न परियोजनाएँ है।
सोंढूर परियोजना - 1989 - सोंढूर ग्राम ( धमतरी )।
सिकासार परियोजना - 1995 - पैरी नदी पर सिकासार ग्राम, गरियाबंद।
रिवर लिंकिंग परियोजना :
इस परियोजना के तहत छत्तीसगढ़ की नदियों को जोड़ कर अतिरिक्त सिचाई सुविधा उपलब्ध कराना है। इस परियोजना के अंतर्गत अहिरन-खूंटाघाट और हसदेव-केवई परियोजना है।
नोट : केलो परियोजना की स्थापना 2014 में की गई थी। यह नवीनतम परियोजना है।
इस परियोजना के तहत छत्तीसगढ़ की नदियों को जोड़ कर अतिरिक्त सिचाई सुविधा उपलब्ध कराना है। इस परियोजना के अंतर्गत अहिरन-खूंटाघाट और हसदेव-केवई परियोजना है।
अन्य प्रमुख सिंचाई परियोजनाएँ
जिला | परियोजना | नदी |
---|---|---|
रायगढ़ | केलो ( दिलीप सिंह जूदेव परियोजना ) | केलो |
खमारपाकुट | केलो | |
किंकरी बैराज | किंकरी नाला | |
राजनांदगांव | घुमरिया बैराज | घुमरिया नाला |
सूखा बैराज | सूखा नाला | |
मोंगरा बैराज | शिवनाथ | |
बिलासपुर | भैसाझार | अरपा नदी |
घोंघा बैराज | घोंघा नाला | |
जांजगीर चाँम्पा | साराडीह बैराज | महानदी |
बसंतपुर बैराज | महानदी | |
मिरौनी बैराज | महानदी | |
कलाम बैराज | महानदी | |
कवर्धा | सूतियापाट | शिवनाथ नदी |
छीरपानी | फोका | |
सरोदा | सकरी | |
कर्रा नाला बैराज | कर्रा नाला | |
कांकेर | परलकोट | देवधा |
मायना | नैनी | |
दंतेवाड़ा | बोधघाट | इंद्रावती |
सरगुजा | कुंवरपुर | चुलहट नाला |
सूरजपुर | महान | महान नदी |
बलौदाबाजार | बल्लार | बल्लार |
कोसारटेडा ( kosarteda ) - इंद्रावती नदी पर बस्तर ब्लॉक में स्थित है।
बजट 2021–22
अहिरन खारंग लिंक, छपराटोला फीडर जलाशय, रेहर अटेम (झिक) लिंक परियोजना का क्रियान्वयन छत्तीसगढ़ अधोसंरचना विकास निगम द्वारा किया जायेगा। इसके लिये निगम को 5 करोड़ की सहायता का प्रावधान है।
छत्तीसगढ़ में परियोजनाएं:
छत्तीसगढ़ की सिंचाई परियोजनाएं, बांगो बांध, गंगरेल बांध, तांदुला जलाशय, केलो परियोजना, बोधगघाट परियोजना , अहिरन-खुटाघाट परियोजना, अरपा-भैसाझार परियोजना, केलो परियोजना , दुधवा बांध , रुद्री बांध, मुरुमसिल्ली बांध, खुड़िया बांध
इन्हे देखें :