मुड़िया का अर्थ आदिम होता है।
प्रमुख देवता : लिंगोपेन, महादेव, बूढ़ादेव, ठाकुरदेव।
बोली : गोंडी, हल्बी।
मुड़िया जनजति गोंड़ की उपशाखा है। छत्तीसगढ़ राज्य में ये जनजाति कोंडागांव, नारायणपुर तथा बीजापुर जिले में बसी हुई है। इस जनजाति के द्वारा किया जाने वाला ककसार, मांदरी, गेंड़ी, हुलकीपाटा, गेड़ी तथा एबलतोर नृत्य प्रख्यात है। वर्रिएर एल्विन ने The Muria and their Ghotul (1947) पुस्तक लिखी है।
घोटुल ( मुख्यलेख ):
एक युवागृह है। जहाँ मुड़िया युवक-युवतियाँ सामाजिक जीवन का पाठसिखाते है तथा अपने लिये जीवन साथी का चुनाव भी करते है।
परगना मांझी :
मुड़िया का मुखिया होता है। बस्तर दशहरा के अंत में मुरिया दरबार लगता है। जहां मांझी-मुखिया और ग्रामीणों की समस्याओ का निराकरण किया जाता है।
अड़गेड़ा:
मुरिया जनजाति के लोग घर के आँगन के सामने लगाते है।अड़ का मतलब आड़ा और गेड़ा यानी कि मोटा डंडा होता है।इसमें दो लकड़ के खंभे गड़े होते हैं। दोनों खंभों की उँचाई बराबर होती है। दोनों खंभों के मध्य गेड़ा यानी कि मोटा डंडा फँसाकर गेट बंद किया जाता है। गेट खोलते समय गेड़ा को किनारे खिसका दिया जाता है।
यह मुरिया के अलावा बाकी घरो में भी दिखेंगे।
प्रमुख देवता : लिंगोपेन, महादेव, बूढ़ादेव, ठाकुरदेव।
बोली : गोंडी, हल्बी।
मुड़िया जनजति गोंड़ की उपशाखा है। छत्तीसगढ़ राज्य में ये जनजाति कोंडागांव, नारायणपुर तथा बीजापुर जिले में बसी हुई है। इस जनजाति के द्वारा किया जाने वाला ककसार, मांदरी, गेंड़ी, हुलकीपाटा, गेड़ी तथा एबलतोर नृत्य प्रख्यात है। वर्रिएर एल्विन ने The Muria and their Ghotul (1947) पुस्तक लिखी है।
घोटुल ( मुख्यलेख ):
एक युवागृह है। जहाँ मुड़िया युवक-युवतियाँ सामाजिक जीवन का पाठसिखाते है तथा अपने लिये जीवन साथी का चुनाव भी करते है।
परगना मांझी :
मुड़िया का मुखिया होता है। बस्तर दशहरा के अंत में मुरिया दरबार लगता है। जहां मांझी-मुखिया और ग्रामीणों की समस्याओ का निराकरण किया जाता है।
अड़गेड़ा:
मुरिया जनजाति के लोग घर के आँगन के सामने लगाते है।अड़ का मतलब आड़ा और गेड़ा यानी कि मोटा डंडा होता है।इसमें दो लकड़ के खंभे गड़े होते हैं। दोनों खंभों की उँचाई बराबर होती है। दोनों खंभों के मध्य गेड़ा यानी कि मोटा डंडा फँसाकर गेट बंद किया जाता है। गेट खोलते समय गेड़ा को किनारे खिसका दिया जाता है।
यह मुरिया के अलावा बाकी घरो में भी दिखेंगे।
उरड़खानी :
यह त्यौहार उड़द की पहली फसल काटकर मनाया जाता है।