घोटुल युवा गृह - Ghotul Yuva Grih



घोटुल - इसका अर्थ गोगास्तहल या विद्यास्थल है।

घोटुल भारत के कई जनजातीय समुदायों में एक महत्वपूर्ण सामाजिक एवं सांस्कृतिक संस्था है। जिसमें पूरे गाँव के बच्चे या किशोर सामूहिक रूप से रहते हैं। यह छत्तीसगढ़ के बस्तर ज़िले के मुड़िया ( गोंड की उपजाति ) जनजाति के ग्रामों में मिलते हैं। अलग-अलग क्षेत्रों की घोटुल परम्पराओं में अंतर होता है।

घोटुल प्रवेश के बाद बच्चे को नया नाम दिया जाता है। इसे आदिवासी 'जोड़ विड़चना' कहते है। जिसका अर्थ होता है, संग छूटना।
 

घोटुल बांस या मिट्टी की बनी झोंपड़ी होती है। इसे इन जनजाति का विश्वविद्यालय भी कहा जा सकता है। यहाँ अविवाहित मुड़िया युवक-युवती की सामाजिक एवं सांस्कृतिक संस्था है। इस युवागृह का उद्देश्य सामाजिक जीवन का पाठ पढ़ाना है। यहाँ आरंभिक शिक्षा से लेकर सामाजिक रहन–सहन, आचार–व्यवहार, परंपरा और रिश्ते–नातों के संबंध में गहन जानकारी दी जाती है। घोटुल की पूरी साफ–सफाई और अन्य कामों का जिम्मा वहां रह रही बालिका पर होता है।

यहाँ के पुरुष मुखिया को सिरेदार तथा महिला मुखिया को बेलौस कहते है। यहाँ रहने वाली लड़कियों को मुटियारिन तथा लडको को चेलिक कहा जाता है। युवक-युतियां आपस में मिलकर जीवन-साथी चुनते हैं जो बाद में जीवनभर के लिए जीवनसाथी भी बनते हैं।

ये लिंगोपेन देवता की आराधना करते है।  यहाँ युवक-युवतियों द्वारा मंदार की थाप पर मंदरी तथा एबालतोर नृत्य किया जाता है।